White गुमनाम सी हो चुकी थी जिंदगी।
खुद से खुद को नाराजगी थी।
अंधेरा था, चारों तरफ,
ना जिंदगी से कोई आश थी।
फिर तेरा आना हुआ।
दम तोड़ते मेरे भरोसे को एक सहारा हुआ।
तु पतझड़ के बाद आई, बसंत सी है।
सावन की पहली फुहार सी है।
आम पे बोलते,कोयल सी है।
नील कमल का पल्लव,
चांद का टुकड़ा है तु।
मेरी दोस्त तु
तानसेन के गीतों का मुखरा है।
और शुक्रिया
मेरे हिस्से में आने को,
मेरे चेहरे पे मुस्कान लाने को।
©Ashutosh2608
#Moon