White सावन आया
सोया था में उस रात,भूल गया था में,
वह पुरानी बात, खेतो में खाया था
हमने वो लाल भात।
बचपन की थी वो बात दिन हो चाहें रात
शनिवार की थी वो बात,
काली घटा छा रही थी, बादलों का बना था डेरा,
धुंधली सी थी अंधियारी छाई
किसी के चेहरे पर थी मुस्कान आई।
लहलाने लगे थे खेत छोटा बच्चा बोला
खाऊंगा में भी भरपेट ,
खुश हुए थे , पंछी पखेरु सावन था जब आया
उठा था में सुबह कुछ अलग था मेने पाया,
साल बाद वो पखेरू था मिलने आया,
सुनहेले गा रहे थे गीत, मुझको भा गया संगीत
एक धुन से उसने मुझे लिया जीत।
आसमान से गिर रही थी बूंदे, धरती पर थीं हरियाली छाई
कोई टिकती हरे पत्तों पर , कोई सीप के मुंह में जा गिरी
सब अपना भाग्य आजमा रही।
कुछ खुशी थी सावन के आने की , कुछ डर था ढह बह जाने का।
धरती की शोभा को था बढ़ाया,
साल बाद फिर सावन था आया।
©Subhash.C.sharma
#sad_shayarकविता