White प्रकृति प्रेमी
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कुछ क्षण शेष बचे है,
बस वही पल विशेष बचें है,
गगन धरा पर अपना प्रेम बरसा रहा,
कितना अनुपम दृश्य है सारी मर्यादाएं निभा रहा है ,
चार मास का प्रेम है
फिर आठ मास का विरह,
देखो तो ये जाते - जातें कितना प्रेम जता रहा ,
धरा को किंचित मात्र भय नहीं किसी का ,
गगन जो सारी खुशियां दे रहा ,
ये हरियाली की चूनर
जगत का सारा नूर इसी पर बरसा रहा ,
काला टीका लगाओ कोई धरा को
ये आसमां इसे निहार रहा,,
कितना अद्भुत प्रेम है इनका ,
ग्रीष्म ऋतु की तपन ,
शरद ऋतु की ठंडी छाव में बैठकर
धरा इंतजार करती ,
बरसात का आठों पहर..
ओंस की बूंदें बन जाऊं मैं भी,
इस प्रकृति में खो जाऊं कहीं,
मैं भी प्रेम धरा - गगन से कर लूं,
इनमें खो जाऊं कहीं....!!
©Sanjana Hada
#love_shayari