वो माफ़ी माॅंगे अपनी ग़लतियों पर, या फ़िर मेरे साम | हिंदी Shayari

"वो माफ़ी माॅंगे अपनी ग़लतियों पर, या फ़िर मेरे सामने झुके शर्मिंदा हो कर, ये तो कभी भी नहीं चाहती थी मैं। लेकिन जो बातें बिगड़ी हैं उसकी वजह से , वो ख़ुद ही उन्हें ठीक भी करे, ये ज़रूर चाहती थी मैं। मैंने हमेशा बहुत दिल से क़द्र की है उसकी और आज भी करती हूॅं इसलिए वो मेरे सामने झुके, इस में मैं ख़ुद की ही तौहीन समझती हूॅं। मोहब्बत में सिर्फ़ एहसास दिलाया जाता है ग़लतियों का, इक-दूसरे को झुकाया नहीं जाता, मोहब्बत का ये तकाज़ा मैं भी जानती हूॅं । मेरी जगह पर ख़ुद को रख कर कभी सोचा ही नहीं उसने मेरे लिए, बस एक सच, जो बहुत मामूली था शायद उसके लिए लेकिन बहुत ज़रूरी था मेरे लिए, उस एक सच के लिए उसने कितना तड़पाया है मेरे दिल को उसे इस बात का ज़रा सा भी एहसास नहीं। कहीं तो कोई ग़लती हुई है उस से , एहसास तो उसे इस बात का भी नहीं। और शायद इसीलिए बिगड़ी हुई बातों को ठीक करने की ज़रूरत भी उसे महसूस हुई नहीं । #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z"

 वो माफ़ी माॅंगे अपनी ग़लतियों पर, या फ़िर मेरे सामने झुके 
शर्मिंदा हो कर, ये तो कभी भी नहीं चाहती थी मैं।
लेकिन जो बातें बिगड़ी हैं उसकी वजह से , 
वो ख़ुद ही उन्हें ठीक भी करे, ये ज़रूर चाहती थी मैं।

मैंने हमेशा बहुत दिल से क़द्र की है उसकी और आज भी करती हूॅं 
इसलिए वो मेरे सामने झुके, इस में मैं ख़ुद की ही तौहीन समझती हूॅं।
मोहब्बत में सिर्फ़ एहसास दिलाया जाता है ग़लतियों का, 
इक-दूसरे को झुकाया नहीं जाता,
 मोहब्बत का ये तकाज़ा मैं भी जानती हूॅं ।

मेरी जगह पर ख़ुद को रख कर कभी सोचा ही नहीं उसने मेरे लिए,
बस एक सच, जो बहुत मामूली था शायद उसके लिए लेकिन 
बहुत ज़रूरी था मेरे लिए, उस एक सच के लिए 
उसने कितना तड़पाया है मेरे दिल को 
उसे इस बात का ज़रा सा भी एहसास नहीं।

कहीं तो कोई ग़लती हुई है उस से ,
एहसास तो उसे इस बात का भी नहीं।
और शायद इसीलिए बिगड़ी हुई बातों को ठीक करने की 
ज़रूरत भी उसे महसूस हुई नहीं ।

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z

वो माफ़ी माॅंगे अपनी ग़लतियों पर, या फ़िर मेरे सामने झुके शर्मिंदा हो कर, ये तो कभी भी नहीं चाहती थी मैं। लेकिन जो बातें बिगड़ी हैं उसकी वजह से , वो ख़ुद ही उन्हें ठीक भी करे, ये ज़रूर चाहती थी मैं। मैंने हमेशा बहुत दिल से क़द्र की है उसकी और आज भी करती हूॅं इसलिए वो मेरे सामने झुके, इस में मैं ख़ुद की ही तौहीन समझती हूॅं। मोहब्बत में सिर्फ़ एहसास दिलाया जाता है ग़लतियों का, इक-दूसरे को झुकाया नहीं जाता, मोहब्बत का ये तकाज़ा मैं भी जानती हूॅं । मेरी जगह पर ख़ुद को रख कर कभी सोचा ही नहीं उसने मेरे लिए, बस एक सच, जो बहुत मामूली था शायद उसके लिए लेकिन बहुत ज़रूरी था मेरे लिए, उस एक सच के लिए उसने कितना तड़पाया है मेरे दिल को उसे इस बात का ज़रा सा भी एहसास नहीं। कहीं तो कोई ग़लती हुई है उस से , एहसास तो उसे इस बात का भी नहीं। और शायद इसीलिए बिगड़ी हुई बातों को ठीक करने की ज़रूरत भी उसे महसूस हुई नहीं । #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z

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