बिना तेरे यूँ हर इक शाम बितानी लिख दी,
मेरे महबूब तुमने ये कैसी कहानी लिख दी.
जीना हर रोज मर-मर के लिख दिया तुमने,
अपनी लाश हर रोज कंधों पर उठानी लिख दी.
बरसों का ताल्लुक तोड़ कर पल में तुमने,
हर-पल मेरे अश्कों की रवानी लिख दी.
लिख दिया तंज सब दुनिया का मेरे हिस्से में,
दिल की आग शोलों से बुझानी लिख दी.
मुहब्बत की उम्र तुमने तो बहुत थोड़ी है लिक्खी,
तुमने तो ना मिटाई जा सके वो जुदाई लिख दी.
रंज़ और ग़म से भरकर मेरा दामन तुमने,
मेरे हिस्से में मुहब्बत की कैसी निशानी लिख दी.
कोई पूछे तेरे बारे में तो मैं उस से क्या कहूँ अब,
मेरे हिस्से में तुमने ये कैसी झूठ-बयानी लिख दी.....
©Virat Mishra
#coldnights