छूटती जिंदगी खत्म होती सांसे कब तक तराशेगी दुनिया | हिंदी विचार

"छूटती जिंदगी खत्म होती सांसे कब तक तराशेगी दुनिया को, ये पथरीली डगर है इसमें जिंदगी की रफ्तार भी धीमी हो जाती है। एक दिन मिट जाएगी हस्ती सबकी लेकिन, ये प्यास है तृष्णा की जो बढ़ती ही जाती है। (चाहत) ©Chahat Kushwah"

 छूटती जिंदगी खत्म होती सांसे कब तक तराशेगी दुनिया को,
ये पथरीली डगर है इसमें जिंदगी की रफ्तार भी धीमी हो जाती है।
एक दिन मिट जाएगी हस्ती सबकी लेकिन,
ये प्यास है तृष्णा की जो बढ़ती ही जाती है।
(चाहत)

©Chahat Kushwah

छूटती जिंदगी खत्म होती सांसे कब तक तराशेगी दुनिया को, ये पथरीली डगर है इसमें जिंदगी की रफ्तार भी धीमी हो जाती है। एक दिन मिट जाएगी हस्ती सबकी लेकिन, ये प्यास है तृष्णा की जो बढ़ती ही जाती है। (चाहत) ©Chahat Kushwah

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