जब तुम पास आते हो, हर रोज ह्रदय मैं बस यही महसूस ह | हिंदी Shayari

"जब तुम पास आते हो, हर रोज ह्रदय मैं बस यही महसूस होता है तुमसे मिलूंगा तो मैं बाहें फैलाकर आऊंगा मेरी बाहों मैं लिपटकर तुम्हें ये अनुभव होगा कि अजय पागल, बेवकूफ से अधिक सुकून जीवन में मुझे कहीं नहीं मिलेगा शर्त है तुम बस अपनी नादानियां अपना बचपन और अपना मासूम चेहरा मुझ तक प्रेम से लाओगी ©A.M एक नई सुबह"

 जब तुम पास आते हो, हर रोज ह्रदय मैं बस यही महसूस होता है तुमसे मिलूंगा तो मैं बाहें फैलाकर आऊंगा मेरी बाहों मैं लिपटकर तुम्हें ये अनुभव होगा कि अजय पागल, बेवकूफ से अधिक सुकून जीवन में मुझे कहीं नहीं मिलेगा शर्त है तुम बस अपनी नादानियां अपना बचपन और अपना मासूम चेहरा मुझ तक प्रेम से लाओगी

©A.M एक नई सुबह

जब तुम पास आते हो, हर रोज ह्रदय मैं बस यही महसूस होता है तुमसे मिलूंगा तो मैं बाहें फैलाकर आऊंगा मेरी बाहों मैं लिपटकर तुम्हें ये अनुभव होगा कि अजय पागल, बेवकूफ से अधिक सुकून जीवन में मुझे कहीं नहीं मिलेगा शर्त है तुम बस अपनी नादानियां अपना बचपन और अपना मासूम चेहरा मुझ तक प्रेम से लाओगी ©A.M एक नई सुबह

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