White कविता : याद करो उन रातों को याद करो, उन उन | हिंदी Poetry

"White कविता : याद करो उन रातों को याद करो, उन उन ख़्वाबों को याद करो, जिक्र हुआ न जिन बातों का, उन बातों को तुम याद करो। उन कसमों को याद करो, उन रस्मों को याद करो, उन निश्छल, कोरे-कोरे, स्वप्नों को तुम याद करो। उन भावों को याद करो, अनुभावों को याद करो, दुःखती रग सहलाये जो, उन घावों को याद करो। उन वादों को याद करो, परिवादों को याद करो, खट्टी-मीठी जो भी गुज़रीं, उन यादों को याद करो। उन राहों को याद करो, उन आहों को याद करो, कसकर गले लगाने वाली, उन बाहों को याद करो। याद करो, तुम याद करो, बस याद करो, और याद करो, तुम याद करो। -शैलेन्द्र राजपूत ©HINDI SAHITYA SAGAR"

 White कविता : याद करो

उन रातों को याद करो,
उन उन ख़्वाबों को याद करो,
जिक्र हुआ न जिन बातों का,
उन बातों को तुम याद करो।

उन कसमों को याद करो,
उन रस्मों को याद करो,
उन निश्छल, कोरे-कोरे, 
स्वप्नों को तुम याद करो।

उन भावों को याद करो,
अनुभावों को याद करो,
दुःखती रग सहलाये जो,
उन घावों को याद करो।

उन वादों को याद करो,
परिवादों को याद करो,
खट्टी-मीठी जो भी गुज़रीं,
उन यादों को याद करो।

उन राहों को याद करो,
उन आहों को याद करो,
कसकर गले लगाने वाली,
उन बाहों को याद करो।

याद करो, 
तुम याद करो,
बस याद करो,
और याद करो,
तुम याद करो।
       -शैलेन्द्र राजपूत

©HINDI SAHITYA SAGAR

White कविता : याद करो उन रातों को याद करो, उन उन ख़्वाबों को याद करो, जिक्र हुआ न जिन बातों का, उन बातों को तुम याद करो। उन कसमों को याद करो, उन रस्मों को याद करो, उन निश्छल, कोरे-कोरे, स्वप्नों को तुम याद करो। उन भावों को याद करो, अनुभावों को याद करो, दुःखती रग सहलाये जो, उन घावों को याद करो। उन वादों को याद करो, परिवादों को याद करो, खट्टी-मीठी जो भी गुज़रीं, उन यादों को याद करो। उन राहों को याद करो, उन आहों को याद करो, कसकर गले लगाने वाली, उन बाहों को याद करो। याद करो, तुम याद करो, बस याद करो, और याद करो, तुम याद करो। -शैलेन्द्र राजपूत ©HINDI SAHITYA SAGAR

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