a-person-standing-on-a-beach-at-sunset सज धज के निकलती है तो कमाल लगती है
वो जान है मेरी बेमिशाल लगती है
नजर लग जाती है शायद उसे मेरी
वो बीमार भी होती है तो धमाल लगती है
चाँद को उसके माथे की बिंदिया बना दूँ
दुनिया के सारे रंग उसके होठो मे सजा दूँ
वो शहजादी बाँहे थाम के चले तो कुछ दूर
जीते जी जन्नत की सैर करा दूँ
ख्वाबों की बस्ति बहुत हसीन है मेरी
बस आँखे थोड़ा गमगीन है मेरी
जबसे तूने झूठ बोला है के मेरी है तू
तब से पूरी दुनिया रंगीन है मेरी
सरमाती इठलाती तू अच्छी लगती है
अपनी नादान हरकतो से तू बच्ची लगती है
पर वाक़िफ़ हूँ मै तेरे ज़र्रे ज़र्रे से
फिर क्यो तेरी हर बात मुझे सच्ची लगती है
©shailesh pandit intijaar
#SunSet #shaileshpanditintijaar