Unsplash मन करता है... जब भी नींद से आँखे खोलू... | हिंदी Poetry

"Unsplash मन करता है... जब भी नींद से आँखे खोलू... तुझे ही पाऊ । मंदिर की सीढ़ियो पर तेरे साथ माथा टिकाऊ। जब भी थक जाऊ... तेरे कांधे पर सर रख पाऊ । हाथो में अपने हर कदम तेरा हाथ पाऊ । जी करता है... इस दुनिया से परे एक दुनिया बसाऊ ... चाहे तुझे मीरा बना दू... खुद कान्हा बन जाऊ ।। मुस्कराहट हो या आंसू तेरे साथ ही जीता जाऊ । मन करता है इक बार सिर्फ इक बार प्रीत को अपनी इस तरह तुझे समझा पाऊ ।।।। ©Rishi Ranjan"

 Unsplash मन करता है...
जब भी नींद से आँखे खोलू... तुझे ही पाऊ ।
मंदिर की सीढ़ियो पर तेरे साथ माथा टिकाऊ।
जब भी थक जाऊ... तेरे कांधे पर सर रख पाऊ ।
हाथो में अपने हर कदम तेरा हाथ पाऊ ।
जी करता है... इस दुनिया से परे एक दुनिया बसाऊ ...
चाहे तुझे मीरा बना दू... खुद कान्हा बन जाऊ ।।
मुस्कराहट हो या आंसू तेरे साथ ही जीता जाऊ ।
मन करता है इक बार सिर्फ इक बार प्रीत को अपनी इस तरह तुझे समझा पाऊ ।।।।

©Rishi Ranjan

Unsplash मन करता है... जब भी नींद से आँखे खोलू... तुझे ही पाऊ । मंदिर की सीढ़ियो पर तेरे साथ माथा टिकाऊ। जब भी थक जाऊ... तेरे कांधे पर सर रख पाऊ । हाथो में अपने हर कदम तेरा हाथ पाऊ । जी करता है... इस दुनिया से परे एक दुनिया बसाऊ ... चाहे तुझे मीरा बना दू... खुद कान्हा बन जाऊ ।। मुस्कराहट हो या आंसू तेरे साथ ही जीता जाऊ । मन करता है इक बार सिर्फ इक बार प्रीत को अपनी इस तरह तुझे समझा पाऊ ।।।। ©Rishi Ranjan

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