**!!** सिमटते रिश्ते **!!** }}}}}}}}}}{{{{{{{{{{ प | हिंदी कविता Video

"**!!** सिमटते रिश्ते **!!** }}}}}}}}}}{{{{{{{{{{ पिता का गोद और मां की ममता, सिर्फ रिश्तो तक सिमट गई है। संबंध रिश्तो की अब आग्रह पर टिक गई है। उत्साह कहां अब रिश्तो में, पूज्यनीय थे पहले हम , अब दौलत पर बिक गई है। ईर्ष्या , द्वेष , घमंड में चूर, अपना हो या पराया , दुनिया बहाना बनाना सीख गई है। बचपन का प्यार और खट्टी मीठी यादें, भाई हो या बहन रिश्तों को तराजू पर तौलना सीख गई है। बचपन में हम सब कुछ भूल जाते थे, आज हम सभी की सोच बहुत नीचे गिर गई है। विकल्प अब नहीं दिखता रिश्तो की, आग्रह भी अब भरम को छू गई है। मर्यादा , परंपरा सब ताक पर रखकर, रिश्तो की डोर अब जड़ से हिल गई है। मैं प्रमोद प्यासा हूं अपनों से रिश्तो का, बदलते जमाने को देख मेरी नजरें भी झुक गई है। पिता का गोद और मां की ममता, सिर्फ रिश्तो तक सिमट गई है। *************************** प्रमोद मालाकार की कलम से 23.08.2021 ********************* ©pramod malakar "

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#सीमटते रिश्ते

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