आईने की तरह रिश्ते भी नाज़ुक होते हैं, फिर भी इन्ह | हिंदी शायरी

"आईने की तरह रिश्ते भी नाज़ुक होते हैं, फिर भी इन्हें संभालने में लोग चूकते हैं। झूठी खूबसूरती पर लोग सुकून में खोते हैं। जब तक सलामत थे, उनकी कद्र कहाँ थी, अब टूटे हैं तो दर्द के किस्से हर मोड़ पे रोते हैं। एक बार जो दरारें आ जाएं दिल के आईने में, फिर उन रिश्तों से लोग हमेशा दूर से गुजरते हैं। ©नवनीत ठाकुर"

 आईने की तरह रिश्ते भी नाज़ुक होते हैं,
फिर भी इन्हें संभालने में लोग चूकते हैं।
झूठी खूबसूरती पर लोग सुकून में खोते हैं।
जब तक सलामत थे, उनकी कद्र कहाँ थी,
अब टूटे हैं तो दर्द के किस्से हर मोड़ पे रोते हैं।
एक बार जो दरारें आ जाएं दिल के आईने में,
फिर उन रिश्तों से लोग हमेशा दूर से गुजरते हैं।

©नवनीत ठाकुर

आईने की तरह रिश्ते भी नाज़ुक होते हैं, फिर भी इन्हें संभालने में लोग चूकते हैं। झूठी खूबसूरती पर लोग सुकून में खोते हैं। जब तक सलामत थे, उनकी कद्र कहाँ थी, अब टूटे हैं तो दर्द के किस्से हर मोड़ पे रोते हैं। एक बार जो दरारें आ जाएं दिल के आईने में, फिर उन रिश्तों से लोग हमेशा दूर से गुजरते हैं। ©नवनीत ठाकुर

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