जो बात दिल में थी वो लिखा ही नहीं जो कुछ भी सोचा त | हिंदी कविता

"जो बात दिल में थी वो लिखा ही नहीं जो कुछ भी सोचा तुमसे कहा ही नहीं आधे अधूरे ख़त मैं लिख कर छोड़ देती हूं अपनी कलम पर भी मैं एतबार कर पाती नहीं जब लिखा सच तो कागज मरोड़ के फेंक दिया मेरी बात तुम तक पहुँच पाती ही नहीं ज़िन्दगी हँस के गुज़ार तो रही हूं मगर ये मलाल दिल से अब जाता ही नहीं अलमारी में पड़े अधूरे ख़त अब भी साँसे ले रहे हैं मगर पीले पड़े पन्नों पर किसी की नज़र जाती है नहीं ©Richa Dhar"

 जो बात दिल में थी वो लिखा ही नहीं
जो कुछ भी सोचा तुमसे कहा ही नहीं
आधे अधूरे ख़त मैं लिख कर छोड़ देती हूं
अपनी कलम पर भी मैं एतबार कर पाती नहीं
जब लिखा सच तो कागज मरोड़ के फेंक दिया
मेरी बात तुम तक पहुँच पाती ही नहीं
ज़िन्दगी हँस के गुज़ार तो रही हूं
मगर ये मलाल दिल से अब जाता ही नहीं
अलमारी में पड़े अधूरे ख़त अब भी साँसे ले रहे हैं
 मगर पीले पड़े पन्नों पर किसी की नज़र जाती है नहीं

©Richa Dhar

जो बात दिल में थी वो लिखा ही नहीं जो कुछ भी सोचा तुमसे कहा ही नहीं आधे अधूरे ख़त मैं लिख कर छोड़ देती हूं अपनी कलम पर भी मैं एतबार कर पाती नहीं जब लिखा सच तो कागज मरोड़ के फेंक दिया मेरी बात तुम तक पहुँच पाती ही नहीं ज़िन्दगी हँस के गुज़ार तो रही हूं मगर ये मलाल दिल से अब जाता ही नहीं अलमारी में पड़े अधूरे ख़त अब भी साँसे ले रहे हैं मगर पीले पड़े पन्नों पर किसी की नज़र जाती है नहीं ©Richa Dhar

#Likho अधूरे खत

People who shared love close

More like this

Trending Topic