होठों पर लगी सिगरेट और सासों में घुलता धुआं, तेरी | हिंदी शायरी

"होठों पर लगी सिगरेट और सासों में घुलता धुआं, तेरी यादों के समंदर में हमे और गहराइयों में ले जाता है। जब कभी बैठ ये सोचते है जीना है कितने दिन, फिर याद आता है मैं तो मर चुका था उसी दिन।। ©Sachin Mishra"

 होठों पर लगी सिगरेट और सासों में घुलता धुआं,
तेरी यादों के समंदर में हमे और गहराइयों में ले जाता है।
जब कभी बैठ ये सोचते है जीना है कितने दिन,
फिर याद आता है मैं तो मर चुका था उसी दिन।।

©Sachin Mishra

होठों पर लगी सिगरेट और सासों में घुलता धुआं, तेरी यादों के समंदर में हमे और गहराइयों में ले जाता है। जब कभी बैठ ये सोचते है जीना है कितने दिन, फिर याद आता है मैं तो मर चुका था उसी दिन।। ©Sachin Mishra

धुआं

People who shared love close

More like this

Trending Topic