a-person-standing-on-a-beach-at-sunset हमको एक चीज है बिल्कुल नापसंद
वो है करना तमाशे
मुझे बुरा लगता है जब कोई आपसी बात को
व्यक्तिगत न रखकर दस जगह फैलाता है।
कोई किसी की भावनाओं को
तमाशा बनाता है
इसका मतलब वह उसके विश्वास को तोड़ता है
उसके सम्मान को नीचा दिखता है
अगर किसी को चाहते हो कि बुरा न लगे ,
उसका विश्वास न टूटे ,
उसको शर्मिंदा न होना पड़े ,
तो उसकी बात को अपने तक रखना चाहिए
सार्वजनिक तमाशा ठीक नहीं होता।
©सत्यव्रत
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