White *आपसे मन की बात* *परिपक्वता* या कहो बुढ़ापे | हिंदी कविता

"White *आपसे मन की बात* *परिपक्वता* या कहो बुढ़ापे में *बढ़ती* हुई उम्र के साथ साथ *बहुत* कुछ बदल जाता है *पहले* हम जिद कर सकते थे *अब* सिर्फ समझौता करते है *पहले* हम गुस्सा कर सकते थे *अब* सिर्फ हौसला ही करते है *पहले* मनचाहा खाते बनाते थे *अब* अनचाहा भी खाते है *जुल्म* तो ये हुआ है कि लोग *फिर* भी इसे आदर कहते है *और* सम्मान का नाम भी देते है *यही सच है* ©Andy Mann"

 White *आपसे मन की बात*

*परिपक्वता* या कहो बुढ़ापे में
*बढ़ती* हुई उम्र के साथ साथ
*बहुत* कुछ बदल जाता है
*पहले* हम जिद कर सकते थे
*अब* सिर्फ समझौता करते है
*पहले* हम गुस्सा कर सकते थे
*अब* सिर्फ हौसला ही करते है
*पहले* मनचाहा खाते बनाते थे
*अब* अनचाहा भी खाते  है 
*जुल्म* तो ये हुआ है कि लोग 
*फिर* भी इसे  आदर कहते है 
*और* सम्मान का नाम भी देते है 

*यही सच है*

©Andy Mann

White *आपसे मन की बात* *परिपक्वता* या कहो बुढ़ापे में *बढ़ती* हुई उम्र के साथ साथ *बहुत* कुछ बदल जाता है *पहले* हम जिद कर सकते थे *अब* सिर्फ समझौता करते है *पहले* हम गुस्सा कर सकते थे *अब* सिर्फ हौसला ही करते है *पहले* मनचाहा खाते बनाते थे *अब* अनचाहा भी खाते है *जुल्म* तो ये हुआ है कि लोग *फिर* भी इसे आदर कहते है *और* सम्मान का नाम भी देते है *यही सच है* ©Andy Mann

#मन_की_बात @Arshad Siddiqui @@_hardik Mahajan KK क्षत्राणी @Neel @Ravi Ranjan Kumar Kausik

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