White शाम की उम्मीद में जब बचपन खिलखिलाता है, पिता | हिंदी Poetry

"White शाम की उम्मीद में जब बचपन खिलखिलाता है, पिता के घर आने की ख़ुशी में पूरा आंगन चहचहाता है। भूल जाता है अपने दिन भर की थकान वो पिता, जब घर आते ही बच्चो का हँसता हुआ चेहरा पाता है। बच्चो का चिपटना और पूछना क्या लाये हो, उसे खूब भाता है, फिर मुठी भर चीज़ देकर सब बच्चों का दिल भहलाता है। रात में दो मीठे बोल पत्नी से बोलकर वो गहरी नींद सो जाता है, सबको खुशिया देते हुए एक पिता अपना पूरा जीवन बिताता है। ©Anubhav Sharma"

 White शाम की उम्मीद में जब बचपन खिलखिलाता है,
पिता के घर आने की ख़ुशी में पूरा आंगन चहचहाता है।
भूल जाता है अपने दिन भर की थकान वो पिता, 
जब घर आते ही बच्चो का हँसता हुआ चेहरा पाता है।
बच्चो का चिपटना और पूछना क्या लाये हो, उसे खूब भाता है,
फिर मुठी भर चीज़ देकर सब बच्चों  का दिल भहलाता है।
रात में दो मीठे बोल पत्नी से बोलकर वो गहरी नींद सो जाता है,
सबको खुशिया देते हुए एक पिता अपना पूरा जीवन बिताता है।

©Anubhav Sharma

White शाम की उम्मीद में जब बचपन खिलखिलाता है, पिता के घर आने की ख़ुशी में पूरा आंगन चहचहाता है। भूल जाता है अपने दिन भर की थकान वो पिता, जब घर आते ही बच्चो का हँसता हुआ चेहरा पाता है। बच्चो का चिपटना और पूछना क्या लाये हो, उसे खूब भाता है, फिर मुठी भर चीज़ देकर सब बच्चों का दिल भहलाता है। रात में दो मीठे बोल पत्नी से बोलकर वो गहरी नींद सो जाता है, सबको खुशिया देते हुए एक पिता अपना पूरा जीवन बिताता है। ©Anubhav Sharma

#father

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