White संस्कारों की कमी लगी स्वयं में तो ,
सद्भावनाएं मेरे विचारों की अभिव्यक्ति बन गयी।
कुछ वक्तव्य में सुधार की सृष्टि लगी स्वयं में तो,
मैंने मौखिक गुणों व संकेतों से काम चला लिया।
पर बात जब विचारों की आयी तो,
स्वयं के विनम्रता को दर्पण बनाकर प्रतिबिम्ब की ओर अपने मार्ग बनाने लगी।
विचारों की कुशलता का भान तो नहीं है मुझे,
पर सत्य की अभिकल्पना नहीं की जाती मुझसे।
वक्तव्य शायद कटु हो, विचार थोड़े विकल करें ,
परंतु मेरे व्यक्तित्व की प्रतिमा को स्वयं में,
स्थापित करके विचार कीजिए क्या आपको मेरे विचार से अलग विचारों का भान हुआ।
©Unnati Upadhyay
#my Opinion
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