a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मुक्त छंद क | English कविता

"a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मुक्त छंद कविता कोहरा ठिठुर रहा कब से सर्दी में, सूरज के रथ का पहिया ढीला जंगल जलता धू धू कर हिमशिखर बना सरिता का पानी। चलती पगडंडी मुड़ मुड़ कर देखें। नारी मंडवा बैठ निहारे पक्षी खड़ी फसल चौपट कर डाली कृषक का दुश्मन पाला नरभक्षी। ©Anuj Ray"

 a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मुक्त छंद कविता 

कोहरा ठिठुर रहा कब से सर्दी में,
सूरज के रथ का पहिया ढीला 
जंगल जलता धू धू कर 
हिमशिखर बना  सरिता का पानी।

चलती पगडंडी मुड़ मुड़ कर देखें। 
नारी मंडवा बैठ निहारे पक्षी
खड़ी फसल चौपट कर डाली 
कृषक का दुश्मन पाला नरभक्षी।

©Anuj Ray

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मुक्त छंद कविता कोहरा ठिठुर रहा कब से सर्दी में, सूरज के रथ का पहिया ढीला जंगल जलता धू धू कर हिमशिखर बना सरिता का पानी। चलती पगडंडी मुड़ मुड़ कर देखें। नारी मंडवा बैठ निहारे पक्षी खड़ी फसल चौपट कर डाली कृषक का दुश्मन पाला नरभक्षी। ©Anuj Ray

# मुक्त छंद कविता"

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