White विवाहित स्त्रियाँ जब होती हैं प्रेम में तो | हिंदी कोट्स

"White विवाहित स्त्रियाँ जब होती हैं प्रेम में तो उतनी ही प्रेम में होती हैं जितनी होती हैं कुँवारी लड़कियां प्रेम कुँवारेपन और विवाह को नहीं जानता केवल मन के दर्पण को देखता मन के राग को सुनता है विवाहित स्त्रियाँ भी समाज से डरते हुए करती जाती हैं प्रेम किसी अमर बेल की तरह क्योंकि प्रेम के बीज बोये नहीं जाते वे स्वत ही हृदय की नम सतह पाकर कभी भी कहीं भी किसी क्षण प्रेम बनकर अंकुरित हो उठते हैं प्रेम में हो जाती हैं वे भी सोलह सत्रह बरस की कोई नयी सी उमंग ललक उठता है उनका भी मन प्रेमी की एक झलक पाने को दैहिक लालसा से परे होता है उसका प्रेम वे आलिंगन के स्पर्श से ही मात्र आत्मा के सुख में प्रवेश कर जाती है ©शैलेंद्र यादव"

 White विवाहित स्त्रियाँ जब होती हैं प्रेम में 
तो उतनी ही प्रेम में होती हैं 
जितनी होती हैं कुँवारी लड़कियां
प्रेम कुँवारेपन और विवाह को नहीं जानता
केवल मन के दर्पण को देखता
मन के राग को सुनता है

विवाहित स्त्रियाँ भी समाज से डरते हुए
करती जाती हैं प्रेम
किसी अमर बेल की तरह
क्योंकि प्रेम के बीज बोये नहीं जाते
वे स्वत ही हृदय की नम सतह पाकर
कभी भी कहीं भी किसी क्षण
प्रेम बनकर अंकुरित हो उठते हैं

प्रेम में हो जाती हैं वे भी
सोलह सत्रह बरस की कोई नयी सी उमंग
ललक उठता है उनका भी मन
प्रेमी की एक झलक पाने को
दैहिक लालसा से परे होता है उसका प्रेम
वे आलिंगन के स्पर्श से ही मात्र
आत्मा के सुख में प्रवेश कर जाती है

©शैलेंद्र यादव

White विवाहित स्त्रियाँ जब होती हैं प्रेम में तो उतनी ही प्रेम में होती हैं जितनी होती हैं कुँवारी लड़कियां प्रेम कुँवारेपन और विवाह को नहीं जानता केवल मन के दर्पण को देखता मन के राग को सुनता है विवाहित स्त्रियाँ भी समाज से डरते हुए करती जाती हैं प्रेम किसी अमर बेल की तरह क्योंकि प्रेम के बीज बोये नहीं जाते वे स्वत ही हृदय की नम सतह पाकर कभी भी कहीं भी किसी क्षण प्रेम बनकर अंकुरित हो उठते हैं प्रेम में हो जाती हैं वे भी सोलह सत्रह बरस की कोई नयी सी उमंग ललक उठता है उनका भी मन प्रेमी की एक झलक पाने को दैहिक लालसा से परे होता है उसका प्रेम वे आलिंगन के स्पर्श से ही मात्र आत्मा के सुख में प्रवेश कर जाती है ©शैलेंद्र यादव

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