Maa
लाखो बातें सुनती फिर भी बेटी संग मुस्काती माँ
बेटी के संग इस दुनियाँ में,पुनः जन्म ले लेती माँ
गर सपनों की बात करें तो मेरा ऐसा अनुभव है
जो सपने बाक़ी रह जाते ,बेटी संग जी लेती माँ
जब भी रंग निखरता उसका यौवन नशा बढ़ाता है
संग सहेली बनकर उसको सच्ची राह बताती माँ
जब जब बेटी खुलकर हँसती अपने सपनों को छूती
खुशियों के आंशू लेकर संग उसके दिल धड़काती माँ
वक्त विदाई का जब आता बेटी दूजे घर जाती है
थाम कलेजा तब बेटी को , अक्सर ही समझाती है
बैठ अकेले में सुधियाँ ले उसके बचपन में जाकर के
कर बिदाई को याद नयन से खूब नीर बरसाती माँ
ऋषभ सत्य है इस जीवन में मैने ऐसा देखा है
बेटी के संग जीवन जीकर , खुद बेटी बन जाती माँ
©sukoon