लहज़ा बहुत ही खूबसूरत है,
दिल-ए-अंदाज में एक कस़ीस है।
दिल को छू लेता है दूर से..
अगर पास होती आप...
आपके खयालात के नज़्म को,
मैं करीब आकर के लिख देता।
आपके गेसूओं के रंग को,
मैं उतार देता करीब आ कर के,
आंखों की नमी को सोख लेता,
मैं करीब आकर के।
दर्द क्या होता..जिंदगी क्या होता है?
ये मैंने जाना तुम्हारे करीब आ कर के।
गुनगुनी ठंड और गुनगुनी धूप की,
चाहतों की डूबती लकीरों को,
आज सुबह देखा उठा जब,
तुम्हारी आंखों को पढ़कर के।
-राजीव
©Rajiv