✍️आज की डायरी✍️
✍️कायनात समझता हो..... ✍️
हक़ उस पर ही जताओ जो हालात समझता हो ।
बात उससे ही बढ़ाओ जो अल्फ़ाज समझता हो ।।
नज़रों के देखने के अंदाज़ से भी मतलब निकलते हैं ।
निगाहें उससे ही मिलाओ जो जज़्बात समझता हो ।।
मिलता रहे जो अक्सर, दर्द उससे ही बाँटना तुम ।
उससे कुछ न कहना जो बेजा मुलाकात समझता हो ।।
दिल उनसे मिला लेना जो तुम्हें अपना ही मान ले ।
उनसे क्या छिपाना जो तुम्हारे खयालात समझता हो ।।
ऐसे शख्स का साथ कभी तुम भी न छोड़ना "नीरज"।
जो सबको भुलाकर तुम्हें पूरी कायनात समझता हो ।।
✍️नीरज ✍️
©डॉ राघवेन्द्र
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