कैसे सँवार लूं आज फ़िर अपने लम्हों को मैं, महज़ तस | हिंदी Shayari

"कैसे सँवार लूं आज फ़िर अपने लम्हों को मैं, महज़ तसव्वुर करते ही तुम्हारे साथ गुज़रा हर मंज़र याद आता है…!!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha"

 कैसे सँवार लूं
आज फ़िर अपने लम्हों को मैं,
महज़ तसव्वुर करते ही
तुम्हारे साथ गुज़रा
हर मंज़र याद आता है…!!!!!

©हिमांशु Kulshreshtha

कैसे सँवार लूं आज फ़िर अपने लम्हों को मैं, महज़ तसव्वुर करते ही तुम्हारे साथ गुज़रा हर मंज़र याद आता है…!!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha

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