घूंघट की ओट से वो आधा मुखड़ा दिखा रही है उस छुपे हु | हिंदी शायरी

"घूंघट की ओट से वो आधा मुखड़ा दिखा रही है उस छुपे हुए चेहरे के भीतर उसकी मोती जड़ी नथ दिख रही है नई नवेली दुल्हन,लाज की चुन्नी से सर को ढके हुए है और दांतों तले चुन्नी को अधरों से बार बार दबा रही है उमड़ा पड़ा है सैलाब,देखने का तांता लगा हुआ है नई नई दुल्हन लाज से मरी जा रही है सुंदरता ऐसी की सृष्टि में न समाती बने भाव,भंगिमा ऐसी के सम्मोहन करे जा रही है ©Richa Dhar"

 घूंघट की ओट से वो आधा मुखड़ा दिखा रही है
उस छुपे हुए चेहरे के भीतर उसकी मोती जड़ी नथ दिख रही है

नई नवेली दुल्हन,लाज की चुन्नी से सर को ढके हुए है
और दांतों तले चुन्नी को अधरों से बार बार दबा रही है

उमड़ा पड़ा है सैलाब,देखने का तांता लगा हुआ है
नई नई दुल्हन लाज से मरी जा रही है

सुंदरता ऐसी की सृष्टि में न समाती बने
भाव,भंगिमा ऐसी के सम्मोहन करे जा रही है

©Richa Dhar

घूंघट की ओट से वो आधा मुखड़ा दिखा रही है उस छुपे हुए चेहरे के भीतर उसकी मोती जड़ी नथ दिख रही है नई नवेली दुल्हन,लाज की चुन्नी से सर को ढके हुए है और दांतों तले चुन्नी को अधरों से बार बार दबा रही है उमड़ा पड़ा है सैलाब,देखने का तांता लगा हुआ है नई नई दुल्हन लाज से मरी जा रही है सुंदरता ऐसी की सृष्टि में न समाती बने भाव,भंगिमा ऐसी के सम्मोहन करे जा रही है ©Richa Dhar

#adishakti नारी

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