सान्निध्यन्धीमतां प्राप्य,
शून्या शास्त्रगतिस्तव।
सान्निध्येन तदा तेन,
को लाभो ननु वर्तते ?
सृष्टो मया-(अभिषेककोश:)✍️
अर्थात्- यदि विद्वानों के साथ रहकर भी तुम्हें शास्त्रों का ज्ञान नहीं हो पाया तो फिर उनके सान्निध्य का क्या लाभ?
©Abhishek Choudhary Sanskrit
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