सान्निध्यन्धीमतां प्राप्य, शून्या शास्त्रगतिस्तव। | मराठी Quotes

"सान्निध्यन्धीमतां प्राप्य, शून्या शास्त्रगतिस्तव। सान्निध्येन तदा तेन, को लाभो ननु वर्तते ? सृष्टो मया-(अभिषेककोश:)✍️ अर्थात्- यदि विद्वानों के साथ रहकर भी तुम्हें शास्त्रों का ज्ञान नहीं हो पाया तो फिर उनके सान्निध्य का क्या लाभ? ©Abhishek Choudhary Sanskrit"

 सान्निध्यन्धीमतां प्राप्य,
शून्या शास्त्रगतिस्तव।
सान्निध्येन तदा तेन,
को लाभो ननु वर्तते ?

सृष्टो मया-(अभिषेककोश:)✍️

अर्थात्- यदि विद्वानों के साथ रहकर भी तुम्हें शास्त्रों का ज्ञान नहीं हो पाया तो फिर उनके सान्निध्य का क्या लाभ?

©Abhishek Choudhary Sanskrit

सान्निध्यन्धीमतां प्राप्य, शून्या शास्त्रगतिस्तव। सान्निध्येन तदा तेन, को लाभो ननु वर्तते ? सृष्टो मया-(अभिषेककोश:)✍️ अर्थात्- यदि विद्वानों के साथ रहकर भी तुम्हें शास्त्रों का ज्ञान नहीं हो पाया तो फिर उनके सान्निध्य का क्या लाभ? ©Abhishek Choudhary Sanskrit

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