मलय-सुगंधित अमराई ज्यों, सकल वात में रस घोली। भोर | हिंदी Poetry

"मलय-सुगंधित अमराई ज्यों, सकल वात में रस घोली। भोर सुनहरी से संध्या तक, कू - कू - कू कोयल बोली। प्रेम और सौहार्द बनाकर सब रंगों में रंगने को, हंँसी - ठिठोली लेकर आई, फिर से रंग भरी होली। अरुण शुक्ल ‘अर्जुन' प्रयागराज (पूर्णत: मौलिक एवं स्वरचित) आपको एवं आपके समस्त परिवार जनों को आपसी प्रेम- सौहार्द ,भाईचारा एवं असीमित खुशी का प्रतीक रंग-पर्व होलिकोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ एवं वासंतिक शुभकामनाएँ! 💐🎊🎉💐 . ©अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'"

 मलय-सुगंधित अमराई ज्यों, सकल वात में रस घोली।
भोर सुनहरी से संध्या तक, कू - कू - कू कोयल बोली।
प्रेम  और  सौहार्द   बनाकर  सब   रंगों  में  रंगने  को,
हंँसी - ठिठोली  लेकर  आई, फिर  से  रंग भरी  होली।
अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'
प्रयागराज
(पूर्णत: मौलिक एवं स्वरचित) 

आपको एवं आपके समस्त परिवार जनों को
आपसी प्रेम- सौहार्द ,भाईचारा
एवं
असीमित खुशी का प्रतीक
रंग-पर्व
होलिकोत्सव की
हार्दिक बधाइयाँ एवं वासंतिक शुभकामनाएँ!
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©अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'

मलय-सुगंधित अमराई ज्यों, सकल वात में रस घोली। भोर सुनहरी से संध्या तक, कू - कू - कू कोयल बोली। प्रेम और सौहार्द बनाकर सब रंगों में रंगने को, हंँसी - ठिठोली लेकर आई, फिर से रंग भरी होली। अरुण शुक्ल ‘अर्जुन' प्रयागराज (पूर्णत: मौलिक एवं स्वरचित) आपको एवं आपके समस्त परिवार जनों को आपसी प्रेम- सौहार्द ,भाईचारा एवं असीमित खुशी का प्रतीक रंग-पर्व होलिकोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ एवं वासंतिक शुभकामनाएँ! 💐🎊🎉💐 . ©अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'

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