White वो लिखा के लाई है किस्मत में जागना,
माँ कैसे सो सकेगी कि बेटा सफ़र में है।
ऐ अँधेरे देख मुँह तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया।
कुछ इस तरह वो मेरे गुनाहों को धो देती है,
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।
माँ तेरे दूध का हक मुझसे अदा क्या होगा,
तू नाराज है तो खुश मुझसे खुदा क्या होगा।
तेरे क़दमों में ये सारा जहान होगा एक दिन,
माँ के होठों पे तबस्सुम को सजाने वाले।
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने,
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।
पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन,
बस इक औलाद की तकलीफ़ से माँ टूट जाती है।
©____NITIN_SAGAR___
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