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सनम तुमसे सभी अरमान मेरे।
लगे जैसे कि तुम वरदान मेरे।
अगर मैं रूठ भी जाऊं कभी तो-
खिला देना अधर मुस्कान मेरे।
पसारो बांह अपनी तुम बुला लो-
ख़ता सब माफ कर नादान मेरे।
चलो तुम हाथ थामें हर जनम जो-
सदा तुम ही रहो अभिमान मेरे।
गुलों का हो नहीं साया भले ही -
रहे तुमसे सदा सम्मान मेरे।
सुहाना सा सफर हो साथ पल-पल-
रहे आंगन भरा गुलदान मेरे।
'उषा’ खिलती सदा पहलू सनम के-
खुशी हर वक्त तुमसे प्राण मेरे।
©Dr Usha Kiran
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