शुक्रिया एक दफा फिर से एहसास दिलाने के लिए की मै अपने अंदर एक दिल छुपाए बैठा था। या हो सकता है पिछले कुछ सालों में रियाज ना करने के चलते मै बेसुरा हो गया था और कुछ समय रियाज़ करने से पहले जैसा सुर पकड़ने लगा था। पता है क्या जब मै तुम्हारे होने के एहसास मात्र से इतनी कम मुलाकातों के होते हुए भी तुम्हे खोने से इतना डर रहा हूं तो अगर मैंने तुमको पूरा जान पाया या तुम्हारे पास हो के तुम्हारी रूह को अपनी रूह के पास ले जा के मै तुमको अगर पा लूंगा तो मुझे बोहोत डर है ऐसे होने के अंतराल में मै खुदको तुम्हारे भीतर कहीं खो दूंगा और फिर तुम्हारे होना या ना होने से ही मेरे पहचान होगी। तुम हो तो मै हूं तुम नहीं होगे तो मै, मै नहीं रहूंगा । मै तुम हो जाऊंगा हमेशा हमेशा के लिए और मुझे इस बात का डर है। बोहोत डर है। कतरा कतरा करके जो मैंने अपने भीतर जो आत्मविश्वास भरा था मानो कोई प्यास आ कर उस आत्मविश्वास को पी गया और पीछे छोड़ गया खाली ग्लास और उसी ग्लास की गहराई मै मानो तुमने गिरा दी हो मेरी उधार मांग के खरीदी वो अंगूठी जो मैंने तुमको पिछले साल जन्मदिन पर दी थी । देखो, कोशिश करना उसको धुंडने का अगली बार मिलो तो मै उसको तुम्हारे हाथ में देखना चाहता हूं । बस इतना सा ख़त मै लिख कर प्रमोद ने रिंकी को दिया और फिर उस दिन के बाद दोनों ने एक दूसरे को फिर कभी नहीं देखा।
@revolutionary_scribbler
©Rahul Badola
#Drops