a-person-standing-on-a-beach-at-sunset बच्चे गर उद | English Poetry

"a-person-standing-on-a-beach-at-sunset बच्चे गर उद्दण्ड बनें तो आँख दिखाना पड़ता है, स्वर्ण बने अच्छा इस खातिर उसे तपाना पड़ता है। जब रावण का अहंकार हनुमत की बात नहीं सुनता, तब लंका में हनुमान को आग लगाना पड़ता है।। -पुरुषोत्तम गौर 'पुरु' ©साहित्य संजीवनी"

 a-person-standing-on-a-beach-at-sunset बच्चे गर उद्दण्ड बनें तो आँख दिखाना पड़ता है,
स्वर्ण बने अच्छा इस खातिर उसे तपाना पड़ता है।
जब रावण का अहंकार हनुमत की बात नहीं सुनता,
तब लंका में हनुमान को आग लगाना पड़ता है।।

-पुरुषोत्तम गौर 'पुरु'

©साहित्य संजीवनी

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset बच्चे गर उद्दण्ड बनें तो आँख दिखाना पड़ता है, स्वर्ण बने अच्छा इस खातिर उसे तपाना पड़ता है। जब रावण का अहंकार हनुमत की बात नहीं सुनता, तब लंका में हनुमान को आग लगाना पड़ता है।। -पुरुषोत्तम गौर 'पुरु' ©साहित्य संजीवनी

#SunSet

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