साहित्य संजीवनी

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White मेरी खुशियों को मिलकर बांटने वाला कोई तो हो गमों के बादलों को छांटने वाला कोई तो हो अगर घर देर से लौटूं उसी अधिकार से अब भी मेरी गलती पे मुझको डांटने वाला कोई तो हो। -दिनेश रघुवंशी ©साहित्य संजीवनी

#Thinking  White मेरी खुशियों को मिलकर बांटने वाला कोई तो हो 
गमों के बादलों को छांटने वाला कोई तो हो 
अगर घर देर से लौटूं उसी अधिकार से अब भी 
मेरी गलती पे मुझको डांटने वाला कोई तो हो।

-दिनेश रघुवंशी

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#Thinking

16 Love

White पुरानी कश्ती को पार लेकर फ़कत हमारा हुनर गया है, नए खेवयै ये ना समझें नदी का पानी उतर गया है। -उदय प्रताप सिंह ©साहित्य संजीवनी

#Thinking  White पुरानी कश्ती को पार लेकर फ़कत हमारा हुनर गया है,
नए खेवयै ये ना समझें नदी का पानी उतर गया है।

-उदय प्रताप सिंह

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#Thinking

14 Love

White मैं हिंदुओं और मुसलमानों को बर्दाश्त कर सकता हूँ लेकिन चोटी वालों और दाढ़ी वालों को नहीं।चोटी हिंदुत्व नही है,दाढ़ी इस्लाम नही है। -काज़ी नज़रुल इस्लाम ©साहित्य संजीवनी

#Thinking #Quotes  White मैं हिंदुओं और मुसलमानों को बर्दाश्त कर सकता हूँ लेकिन चोटी वालों और दाढ़ी वालों को नहीं।चोटी हिंदुत्व नही है,दाढ़ी इस्लाम नही है।

-काज़ी नज़रुल इस्लाम

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#Thinking

14 Love

White मरीज़ हमको दवाएँ बताने लगते हैं बुरा हो वक़्त तो सब आज़माने लगते हैं नए अमीरों के घर भूलकर भी मत जाना हर एक चीज़ की कीमत बताने लगते हैं -मलिकज़ादा जावेद ©साहित्य संजीवनी

#Thinking  White मरीज़ हमको दवाएँ बताने लगते हैं
बुरा हो वक़्त तो सब आज़माने लगते हैं
नए अमीरों के घर भूलकर भी मत जाना 
हर एक चीज़ की कीमत बताने लगते हैं

-मलिकज़ादा जावेद

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#Thinking

20 Love

White इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है, पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है। अकबर इलाहाबादी ©साहित्य संजीवनी

#Thinking  White इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है,
पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है।

अकबर इलाहाबादी

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#Thinking

16 Love

White नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास-रजत-नग-पगतल में। पीयूष-स्रोत-सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में। ©साहित्य संजीवनी

#Thinking  White नारी तुम केवल श्रद्धा हो,
विश्वास-रजत-नग-पगतल में।
पीयूष-स्रोत-सी बहा करो,
जीवन के सुंदर समतल में।

©साहित्य संजीवनी

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18 Love

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