White हृदय में लेकर प्रेम तरंग,
खिलाया है हमने अंग-अंग..
अल्प क्षणों की नहीं यह कथा,
इसमें असीमित हर्ष एवं व्यथा..
अत्यधिक प्रेम में मन हुआ धृष्ट,
इसे देख क्यों तुम हुये रुष्ट?
क्या मेरा यह अधिकार नहीं,
मेरी अल्हड़ता क्या स्वीकार नहीं?
कह देते कि यह नहीं पसंद,
हम तो सदा से ही थे पाबंद..
बालहठ न करते यो तुमसे,
रुष्ट फिर न होते तुम मुझसे...
©Rakhi Anamika
#alone_sad_shayri