White मेरे बढ़ने से जल गये हो तुम
दोस्त कितने बदल गये हो तुम
मेरी शह और मात मुझको ही
चाल ये कैसी चल गये हो तुम
अब तो शब्दों को ढो रहा जीवन
अर्थ सारे निगल गये हो तुम
राख से जो न ढके न दीख सके
उन अँगारो में ढल गये हो तुम
पास रह कर भी ऐसा लगता है
दूर कितने निकल गये हो तुम
भेद अपना न कह सके मुझसे
जैसे दर्पण को छल गये हो तुम
©Deepubodhi
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