Blue Moon मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक | हिंदी शायरी

"Blue Moon मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन ज़ंजीरें हैं आज और कल की बात नहीं है सदियों की तारीख़ यही है हर आँगन में ख़्वाब हैं लेकिन चंद घरों में ताबीरें हैं जब भी कोई तख़्त सजा है मेरा तेरा ख़ून बहा है दरबारों की शान-ओ-शौकत मैदानों की शमशीरें हैं हर जंगल की एक कहानी वो ही भेंट वही क़ुर्बानी गूँगी बहरी सारी भेड़ें चरवाहों की जागीरें है। ©U P"

 Blue Moon मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं 
जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन ज़ंजीरें हैं 
आज और कल की बात नहीं है सदियों की तारीख़ यही है 
हर आँगन में ख़्वाब हैं लेकिन चंद घरों में ताबीरें हैं 
जब भी कोई तख़्त सजा है मेरा तेरा ख़ून बहा है 
दरबारों की शान-ओ-शौकत मैदानों की शमशीरें हैं 
हर जंगल की एक कहानी वो ही भेंट वही क़ुर्बानी 
गूँगी बहरी सारी भेड़ें चरवाहों की जागीरें है।

©U P

Blue Moon मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन ज़ंजीरें हैं आज और कल की बात नहीं है सदियों की तारीख़ यही है हर आँगन में ख़्वाब हैं लेकिन चंद घरों में ताबीरें हैं जब भी कोई तख़्त सजा है मेरा तेरा ख़ून बहा है दरबारों की शान-ओ-शौकत मैदानों की शमशीरें हैं हर जंगल की एक कहानी वो ही भेंट वही क़ुर्बानी गूँगी बहरी सारी भेड़ें चरवाहों की जागीरें है। ©U P

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