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हृदय के उद्गारों को सुन तो लो
प्रिय मानती हो? एक दिन तो मेरे लिए जी तो लो!
हार जाता हूं मैं तेरे आगे, कुछ नहीं कहता जो कहना चाहता हूं।
खुद से प्रयास तो करो?
प्रिय मानती हो? एक बार मेरी सिर्फ मेरी सुन तो लो!
हां ये बहुत, ज्यादा ही लोभ से भरी हुई इक्षा है।
इसमें तुम्हारा हित शायद कम है
हो सकता है, तुम्हारे अहम को ठेस लगे।
बस एक दिन , बस एक दिन ये चोट सह के देखो।
प्रिय मानती हो? बस एक बार ही सही,
प्रयास करके देखो, हृदय लगा के देखो,
समर्पण करके देखो।
हास्यास्पद स्वप्न है मेरा , कभी पूरा करके देखो।
प्रिय मानती हो?
©mautila registan(Naveen Pandey)
#love❤