White धूप बेगानी है पानी भी बेगाना दिखता है, परदेश | हिंदी शायरी

"White धूप बेगानी है पानी भी बेगाना दिखता है, परदेशी रूह में न अपनापन झलकता है, नमक रोटी बदली फटी लंगोटी बदली, सब नया नया है पर वीराना-सा लगता है। चमकते सजीले चेहरे आंखों में चुभते हैं अब, नींदों की चाहत में सो-सोकर जगते हैं अब, तमाशाई होड़ में बनने आये थे धनवान पर, मां को याद करके रोज सिसकते रहते हैं अब। ©Shubham Mishra"

 White धूप बेगानी है पानी भी बेगाना दिखता है,
परदेशी रूह में न अपनापन झलकता है,
नमक रोटी बदली फटी लंगोटी बदली,
सब नया नया है पर वीराना-सा लगता है।
चमकते सजीले चेहरे आंखों में चुभते हैं अब,
नींदों की चाहत में सो-सोकर जगते हैं अब,
तमाशाई होड़ में बनने आये थे धनवान पर,
मां को याद करके रोज सिसकते रहते हैं अब।

©Shubham Mishra

White धूप बेगानी है पानी भी बेगाना दिखता है, परदेशी रूह में न अपनापन झलकता है, नमक रोटी बदली फटी लंगोटी बदली, सब नया नया है पर वीराना-सा लगता है। चमकते सजीले चेहरे आंखों में चुभते हैं अब, नींदों की चाहत में सो-सोकर जगते हैं अब, तमाशाई होड़ में बनने आये थे धनवान पर, मां को याद करके रोज सिसकते रहते हैं अब। ©Shubham Mishra

#Dussehra परदेशी

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