रात के 12बजे मेरा दरवाज़ा खुला तो हतप्रभ रह गए। सामने वो नज़ारा था जो देख कर रूह कांप गई। जो लोग कहते हैं ना की भूत प्रेत कुछ नहीं होते है। पाखंड हैं। पर जिसपर बीती वो ही जानते हैं। और किसी एक तबके पर पाखंड का इल्जाम लगाना गलत होता है। स्वार्थपरता किसी में भी आ सकती है। आगे कैप्शन में पढ़े....
©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
एक बार की बात है कि एक बार रात के बारह बजे थे। की खट खट की आवाज़ आने लगी। इस आवाज़ से डर लगने लगा पहले तो सोचा कुछ नहीं है। पर साय साय की आवाजे पायल की छन छन की आवाज़ पहले तो धीरे धीरे आ रही थी फिर थोडी और तेज़ और फिर तेज़ ऐसे सुनते सुनते कब बहुत तेज़ आवाज़ आने लगी मानों पलंग के पास ही खड़ी हो धीरे धीरे सांसे तेज होने लगी। चादर को इतनी ज़ोर से पकड़ लिया मानों अभी चादर खींच लें तो प्राण पखेरू उड़ जाएंगे। अब तो चादर के अंदर भीं दम घुटने लगा था। तभी दरवाज़े के पास वाली खिड़की में से आवाज़ आने लगी।