रात के 12बजे मेरा दरवाज़ा खुला तो हतप्रभ रह गए। सामने वो नज़ारा था जो देख कर रूह कांप गई। जो लोग कहते हैं ना की भूत प्रेत कुछ नहीं होते है। पाखंड हैं। पर जिसपर बीती वो ही जानते हैं। और किसी एक तबके पर पाखंड का इल्जाम लगाना गलत होता है। स्वार्थपरता किसी में भी आ सकती है। आगे कैप्शन में पढ़े....
©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
एक बार की बात है कि एक बार रात के बारह बजे थे। की खट खट की आवाज़ आने लगी। इस आवाज़ से डर लगने लगा पहले तो सोचा कुछ नहीं है। पर साय साय की आवाजे पायल की छन छन की आवाज़ पहले तो धीरे धीरे आ रही थी फिर थोडी और तेज़ और फिर तेज़ ऐसे सुनते सुनते कब बहुत तेज़ आवाज़ आने लगी मानों पलंग के पास ही खड़ी हो धीरे धीरे सांसे तेज होने लगी। चादर को इतनी ज़ोर से पकड़ लिया मानों अभी चादर खींच लें तो प्राण पखेरू उड़ जाएंगे। अब तो चादर के अंदर भीं दम घुटने लगा था। तभी दरवाज़े के पास वाली खिड़की में से आवाज़ आने लगी। उस कमरे में लड़का सो रहा था। उसे आवाज़ दे कर कहने लगी की में लेने आ गई हूं। उसकेे भीं रोगटे खड़े हो गए थे। पर यह बात बस वो लड़का ही जानता था। थोड़ी देर में उसकी बड़ी बहन जो कि गर्भवती थीं। उसकी नींद टूटी और उसने पहले अपने बच्चे को देखा तो वो बुखार से तप रहा था। और लाईट भीं नहीं आ रही थी। वो उठी की अभी पानी लाकर दवाई देगी। उस समय रात के 1: 30से 2: 30बजे का समय होगा। अचानक से उसकी बड़ी बहन ने ज़ोरदार आवाज़ देकर अपनी मां को बुलाया मां दौड़ कर आई देखा तो चारो ओर खुन ही खून हों रखा था। मां घबरा गई बेटे को आवाज़ लगाई बेटे ने दरवाज़ा खोला तो वो भी सुन्न हों गया। उनको लगा कि ये क्या अनर्थ हो गया। अब क्या था। बहन और उस बच्चे की जान का सवाल था। आस पास कोई साधन उपलब्ध नहीं था। करे तो क्या करें। अब भाई ने लकड़ी उठाई। किसी को बुलाने के लिए निकला और उसी इलाके में जाना था जहां बचपन से वहां गलत समय पर जानें की मनाही थी पर वो कांपते हुए चला गया। उधर मां भीं किसी के घर गई ताकि जान बचा सके रात को गांव मे ना कोई डॉक्टर रहता था तो पास ही तहसील में हॉस्पिटल में दरवाज़ा खुलवाया और उसे ऑपरेशन थियेटर में ले गए। Sudha Tripathi @Internet Jockey @Vikas samastipuri Advocate Rakesh Kumar Soni R K Mishra " सूर्य "