स्त्री आश्रित नहीं होती, मर्द आश्रित रहते हैं कहने से पहले ही उनके उन्हें पानी, चाय सब मिल जाता है स्त्री ढूंढती है कोई गुजरे तो पानी माँगू या नही सोचती है दस बार खुद ही ले लेती हूँ सोचके फिर चुपचाप प्यास बुझा लेती है खाने से पहले गरम गरम पुरीयाँ पति के लिए रखती है खुद ठंडी सेंकी से ही पेट भर्ती
#streeyaapa
©Shikha Pari
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