White अपने आप के भी पीछे खड़ा हूँ मैं, आईने से नजर | हिंदी Shayari

"White अपने आप के भी पीछे खड़ा हूँ मैं, आईने से नजरें मिलाने से डरा हूँ मैं। जो सच था उसे जिंदा दफना दिया, अब झूठ के साये में जी रहा हूँ मैं। हर ग़लती का इल्ज़ाम खुद पर लिया, हर दर्द का बोझ अकेला उठाया हूँ मैं। लोग कहते हैं पत्थर दिल हूँ शायद, पर भीतर से पूरा टूटा हुआ हूँ मैं। चुप्पी ओढ़कर शोर सहता रहा, खुद के फैसलों से ही लड़ता रहा। जो सुकून ढूंढा था बाहर की दुनिया में, वो भीतर कहीं खो चुका हूँ मैं। अपने आप के भी पीछे खड़ा हूँ मैं, खुद से ही मिलने को तरसा हुआ हूँ मैं। ©UNCLE彡RAVAN"

 White अपने आप के भी पीछे खड़ा हूँ मैं,
आईने से नजरें मिलाने से डरा हूँ मैं।
जो सच था उसे जिंदा दफना दिया,
अब झूठ के साये में जी रहा हूँ मैं।

हर ग़लती का इल्ज़ाम खुद पर लिया,
हर दर्द का बोझ अकेला उठाया हूँ मैं।
लोग कहते हैं पत्थर दिल हूँ शायद,
पर भीतर से पूरा टूटा हुआ हूँ मैं।

चुप्पी ओढ़कर शोर सहता रहा,
खुद के फैसलों से ही लड़ता रहा।
जो सुकून ढूंढा था बाहर की दुनिया में,
वो भीतर कहीं खो चुका हूँ मैं।

अपने आप के भी पीछे खड़ा हूँ मैं,
खुद से ही मिलने को तरसा हुआ हूँ मैं।

©UNCLE彡RAVAN

White अपने आप के भी पीछे खड़ा हूँ मैं, आईने से नजरें मिलाने से डरा हूँ मैं। जो सच था उसे जिंदा दफना दिया, अब झूठ के साये में जी रहा हूँ मैं। हर ग़लती का इल्ज़ाम खुद पर लिया, हर दर्द का बोझ अकेला उठाया हूँ मैं। लोग कहते हैं पत्थर दिल हूँ शायद, पर भीतर से पूरा टूटा हुआ हूँ मैं। चुप्पी ओढ़कर शोर सहता रहा, खुद के फैसलों से ही लड़ता रहा। जो सुकून ढूंढा था बाहर की दुनिया में, वो भीतर कहीं खो चुका हूँ मैं। अपने आप के भी पीछे खड़ा हूँ मैं, खुद से ही मिलने को तरसा हुआ हूँ मैं। ©UNCLE彡RAVAN

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