नारी,अबला नारी नहीं
तू दुर्गा,शक्ति,चन्द्राड़ि है।
पैरों की तू धूल नहीं
लक्ष्मीबाई स्वाभिमानी है।।
डरकर तुझको रहना नहीं
गुनाहगारों की चिता जिलानी है।
कमज़ोर तू खुदको समझ नहीं
तू शक्ति रूप महाकाली है।।
अज्ञान में तुझको रहना नहीं
तुझे ज्ञान की जोत जलानी है।
समाज से डरकर रहना नहीं
अपनी पहचान बनानी है।।
नारी,अबला नारी नहीं
तू दुर्गा,शक्ति,चन्द्राड़ि है।।
©नेहा यादव
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