White हजारों लोग शरीक हुए थे जनाज़े में उसके, तन्ह | हिंदी Bhakti

"White हजारों लोग शरीक हुए थे जनाज़े में उसके, तन्हाईयों के ख़ौफ़ से जो शख़्स मर गया। हर आँख ने देखा उसे, मगर कोई समझ न सका, वो शख़्स भीड़ में भी, अपना आपा खो गया। जीते जी उसकी आहों को कोई न समझ सका, वो शख़्स अपने ही साये से हार गया। क़ब्र की मिट्टी भी ग़म को छू न सकी, हर ख़्वाब ख़ामोशी में दफ़्न हो गया। हसरतों का बोझ और ख़्वाहिशों की गहराई, वो अपनी तन्हाई में, धीरे-धीरे बिखर गया। ©UNCLE彡RAVAN"

 White हजारों लोग शरीक हुए थे जनाज़े में उसके,
तन्हाईयों के ख़ौफ़ से जो शख़्स मर गया।

हर आँख ने देखा उसे, मगर कोई समझ न सका,
वो शख़्स भीड़ में भी, अपना आपा खो गया।

जीते जी उसकी आहों को कोई न समझ सका,
वो शख़्स अपने ही साये से हार गया।

क़ब्र की मिट्टी भी ग़म को छू न सकी,
हर ख़्वाब ख़ामोशी में दफ़्न हो गया।

हसरतों का बोझ और ख़्वाहिशों की गहराई,
वो अपनी तन्हाई में, धीरे-धीरे बिखर गया।

©UNCLE彡RAVAN

White हजारों लोग शरीक हुए थे जनाज़े में उसके, तन्हाईयों के ख़ौफ़ से जो शख़्स मर गया। हर आँख ने देखा उसे, मगर कोई समझ न सका, वो शख़्स भीड़ में भी, अपना आपा खो गया। जीते जी उसकी आहों को कोई न समझ सका, वो शख़्स अपने ही साये से हार गया। क़ब्र की मिट्टी भी ग़म को छू न सकी, हर ख़्वाब ख़ामोशी में दफ़्न हो गया। हसरतों का बोझ और ख़्वाहिशों की गहराई, वो अपनी तन्हाई में, धीरे-धीरे बिखर गया। ©UNCLE彡RAVAN

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