क्या, मैने चौपाल पे पूछा की दादी मां नहीं दिख रही कन्हा गई है
तो पता चला कि वो अपनी बचपन की सहेली के घर गई हैं
फिर क्या मैंने पता पूछा और निकल पड़ा ।
जब मैं दादी मां की सहेली के घर पंहुचा ।
वो मिट्टी के दिए (दीपक) बना रहीं थी ।
वन्हा मैं चारपाई पे बैठ आ कही मिनटों चक की ओर देखता रहा ।
और वन्हा से मैं बहुत सारे दिए लेकर आया।
आप सभी को दीपाली की हार्दिक शुभकामनाए
©prashant farrukhabadi
दादी मां