चलो आज चलते हैं कुछ देर के लिए...
उसी समंदर के किनारे...
जहाँ हमने बिताये थे खूबसूरत लम्हे...
बहुत प्यारे प्यारे...
याद है न तुमको बैठे थे कांधो पर सर टिकाये...
तुम्हारे बाजुओं के सहारे...
वो ढलती सुनहरी शाम की बात और थी...
दिलकश थे नजारे...
तुमने कानों में धीरे से गुनगुनाया था...
गुँजते हैं वो सुर तुम्हारे...
कभी तुम्हे जकड़ती थी, कभी सिमटती थी...
भूलकर दुनिया की दीवारे...
आज फिर एक हलचल सी उठ रही है...
जाने क्यों मन में हमारे...
आज एक नयी स्फुर्ति देने की चाह हुई है...
चलो न कुछ पल वहाँ फिर गुजारें।
©Rakhi Anamika
#MusicLove