"सुनिए.... ये जो शायर लोग दिल का दर्द दिल का दर्द लिखते कहते हैं न दरअसल वो दिल का दर्द नहीं दिल की भड़ास होती है या यूं कहें कि प्यार का दर्द होता है जिसमें रूह तक बेचैन होती है। पर ये जो दिल का असली दर्द होता है वो ख़ालिस दर्द ही होता है उस दर्द में किसी के मिलने बिछड़ने का एहसास नहीं होता, किसी बेवफा या बावफा को याद करने या महसूस करने का होश नहीं रहता । दिल का ये दर्द ज़रूरी नहीं के सीने पर बाईं तरफ़ ही हो ये दर्द सीने के बीचो बीच भी हो सकता है दाईं तरफ भी हो सकता है । दिल का दर्द पीठ कंधे से लेकर पूरे हाथ तक में हो सकता, इस दर्द के साथ जान तक जा सकती है पर इस दर्द की वजह से जान नहीं जाती यानी ये दर्द उतना तेज़ नहीं होता जितना पथरी अपेंडिक्स वगैरह में होता है।
©Daniyal
"