White मक़सद हमारा तेरे साथ ज़िंदगी बिताना हरगिज़ न | हिंदी शायरी

"White मक़सद हमारा तेरे साथ ज़िंदगी बिताना हरगिज़ नहीं था। बस तेरे अब्र से भी गहरे रुखसार को चूमना था । शबनम से भी खूब जो तेरे होंठ थे बस उन्हें चूमना था। प्यार ना समझ लेना इसे, शर्त लगी थी महफ़िल में, शर्त यह थी कि तेरे बर्फ़ से भी ठंडे गले को चूमना था। तुझसे मोहब्बत हम करे ये कभी हमने सोचा नही, सोचा था तो बस यही की बस तुझे चूमना था। हमने मुद्दातो से किसी हसीना को, रोते हुए नही देखा ऐ "शेखर" मक़सद हमारा बस तेरे आंसुओ से भीगे रुखसार को चूमना था। ©Shekhar suman Meghwal"

 White मक़सद हमारा तेरे साथ ज़िंदगी बिताना हरगिज़ नहीं था।
बस  तेरे  अब्र से  भी गहरे रुखसार को चूमना था ।
शबनम से भी खूब जो तेरे होंठ थे बस उन्हें चूमना था।

प्यार  ना समझ  लेना इसे, शर्त  लगी  थी  महफ़िल में,
शर्त यह थी कि तेरे बर्फ़ से भी  ठंडे गले को चूमना था।

तुझसे मोहब्बत हम करे ये कभी हमने सोचा नही,
सोचा  था  तो बस  यही की  बस तुझे  चूमना था।

हमने मुद्दातो से किसी हसीना को,
 रोते   हुए   नही   देखा   ऐ "शेखर"
मक़सद हमारा बस तेरे आंसुओ से भीगे रुखसार को चूमना था।

©Shekhar suman Meghwal

White मक़सद हमारा तेरे साथ ज़िंदगी बिताना हरगिज़ नहीं था। बस तेरे अब्र से भी गहरे रुखसार को चूमना था । शबनम से भी खूब जो तेरे होंठ थे बस उन्हें चूमना था। प्यार ना समझ लेना इसे, शर्त लगी थी महफ़िल में, शर्त यह थी कि तेरे बर्फ़ से भी ठंडे गले को चूमना था। तुझसे मोहब्बत हम करे ये कभी हमने सोचा नही, सोचा था तो बस यही की बस तुझे चूमना था। हमने मुद्दातो से किसी हसीना को, रोते हुए नही देखा ऐ "शेखर" मक़सद हमारा बस तेरे आंसुओ से भीगे रुखसार को चूमना था। ©Shekhar suman Meghwal

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