हाँ! मैंने भी प्यार किया था।
जब उस पर इतबार किया था।
हाथों में रख उसके चाबी
घर का भी हकदार किया था।
तोड़ भरोसा लेकिन उसने
रिश्ते को अख़बार किया था।
फूल सरीखी भोली भाली
ने कांटों से वार किया था।
याद मुझे आई यारों की
जिस जिस ने हुशियार किया था।
उसने जाने मुझ से कितने
मर्दो को लाचार किया था।
©Neeraj
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