White अगर तू जो पास होती
मेरे बिस्तर में भी सिलवटे होती
भले ही ये मौसम ना बदलते मगर
बंजर बागानों में भी कलियां खिलती
अगर तू जो पास होती
मेरे बिस्तर में भी सिलवटे होती
इस शहर में भी रोज सावन बरसते
और ये पूश की शरद राते भी गर्म होती
अगर तू जो पास होती
मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती
मेरे घर के आईने में भी तेरे प्रतिबिंब होते
मेरे आंगन में भी तेरे बदन की खुशबू होती
अगर तू जो पास होती
मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती
तेरे चेहरे से बालों को मैं संभालता जब
तेरे हाथों में मेहंदी मेरे नाम की होती
अगर तू पास जो होती
मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती
तेरे बगैर मेरे घर के सारे रंग फीके हैं
जान के कानो में भी तेरी पायल की आहट होती
©कवि- जीतू जान
#Sad_Status poetry in hindi