इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के अब तक रुका हुआ ह | हिंदी शायरी Video

" इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता ये माना ये जिंदगी है चार दिन की बहुत होते है यारो चार दिन भी।। ©shayri walla "

इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता ये माना ये जिंदगी है चार दिन की बहुत होते है यारो चार दिन भी।। ©shayri walla

#humantouch @P. V. Mishra @meri_diary(R*) @Niaa_choubey @Pooja Udeshi @Bhavna singh Yt

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